NCERT Solution of Class 7 History पाठ - 6 इतिहास ईश्वर से अनुराग
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में मेल बैठाएँ :
बुद्ध | नामधर |
शंकरदेव | विष्णु की पूजा |
निजामुद्दीन औलिया | सामाजिक अंतरों पर सवाल उठाए |
नयनार | सूफी सन्त |
अलवार | शिव की पूजा |
उत्तर:
बुद्ध | सामाजिक अंतरों पर सवाल उठाए |
शंकरदेव | नामधर |
निजामुद्दीन औलिया | सूफी सन्त |
नयनार | शिव की पूजा |
अलवार | विष्णु की पूजा |
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
(क) शंकर ............ के समर्थक थे।
(ख) रामानुज ............... के द्वारा प्रभावित हुए थे।
(ग) .........., ............ और ............. वीर शैव मत के समर्थक थे।
(घ) .............., महाराष्ट्र में भक्ति परम्परा का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र था।
उत्तर:
(क) अद्वैत
(ख) अलवार
(ग) बसवन्ना, अल्लमा प्रभु, अक्कमहादेवी
(घ) पंढरपुर।
प्रश्न 3.
नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णन निम्न प्रकार किया गया है-
(i) उन्होंने साधारण तर्क-वितर्क के आधार पर रूढ़िवादी धार्मिक कर्मकांडों एवं सामाजिक व्यवस्था का विरोध किया।
(ii) उन्होंने संसार का परित्याग करने और संन्यास लेने का समर्थन किया।
(iii) उनके विचार से निराकार परम सत्य का चिंतन-मनन और उसके साथ एक हो जाने की अनुभूति ही मोक्ष का मार्ग है।
(iv) उन्होंने योगासन, प्राणायाम और चिंतन-मनन जैसी| क्रियाओं के माध्यम से मन एवं शरीर को कठोर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर बल दिया।
(v) उनके द्वारा की गई रूढ़िवादी धर्म की आलोचना ने भक्तिमार्गीय धर्म के लिए आधार तैयार किया, जो आगे चलकर उत्तरी भारत में लोकप्रिय शक्ति बना।
प्रश्न 4.
कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार क्या-क्या थे? उन्होंने इन विचारों को कैसे अभिव्यक्त किया?
उत्तर:
कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार-
(i) प्रमुख धार्मिक परम्पराओं और आडंबरपूर्ण धर्म का खंडन किया।
(ii) उन्होंने, 'हिन्दू धर्म और इस्लाम धर्म दोनों की बाह्य आडंबरपूर्ण पूजा के सभी रूपों का खंडन किया।
(iii) वे निराकार परमेश्वर में विश्वास रखते थे।
(iv) उन्होंने यह उपदेश दिया कि भक्ति के माध्यम से ही मोक्ष यानी मुक्ति प्राप्त हो सकती है।
उन्होंने. इन विचारों को आम आदमियों द्वारा आसानी से समझी जा सकने वाली बोलचाल की हिन्दी भाषा में काव्य के माध्यम से अभिव्यक्त किया। उन्होंने कभी-कभी रहस्यमयी भाषा का भी प्रयोग किया, जिसे समझना कठिन होता है।
प्रश्न 5.
सूफियों के प्रमुख आचार-विचार क्या थे?
उत्तर:
(i) सूफी मुसलमान धर्म के बाहरी आडंबरों को अस्वीकार करते हुए ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति तथा सभी मनुष्यों के प्रति दयाभाव रखने पर बल देते थे। वे नैतिकता पर बल देते थे।
(ii) वे ईश्वर के प्रति ठीक उसी प्रकार से जुड़े रहना चाहते थे, जिस प्रकार एक प्रेमी, दुनिया की परवाह किए बिना अपनी प्रियतमा के साथ जुड़े रहना चाहता है। वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए काव्य रचना किया करते थे।
(iii) उन्होंने किसी औलिया या पीर की देखरेख में जिक्र (नाम का जाप), चिंतन, समा (गाना), रक्स (नृत्य), नीति चर्चा, साँस पर नियंत्रण आदि के जरिए विस्तृत रीतियों का विकास किया। इस प्रकार आध्यात्मिक सूफी उस्तादों की पीढ़ियों, सिलसिलाओं का प्रादुर्भाव हुआ।
(iii) सूफी संत अपने खानकाहों में विशेष बैठकों का आयोजन करते थे। जहाँ सभी प्रकार के भक्तगण आते थे। वे आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा करते थे।
(iv) सूफी संत की दरगाह एक तीर्थ स्थल बन जाता था, जहाँ सभी धर्म के लोग हजारों की संख्या में उपस्थित होते थे।
प्रश्न 6.
आपके विचार से बहुत से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को अस्वीकार क्यों किया?
उत्तर:
हमारे विचार से बहुत से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को इसलिए अस्वीकार किया क्योंकि-
(i) विश्वास और प्रथाएँ रूढ़ियों से ग्रस्त हो चुकी थीं।
(ii) इनसे जातिगत विभाजन जटिल होता जा रहा था।
(iii) अवतारवाद तथा विभिन्न धार्मिक कर्मकांडों से साधारण जनता भ्रम का शिकार हो चुकी थी।
(iv) वे जनता को इन रूढ़ियों से ऊपर उठकर नैतिक धर्म पर बल दे रहे थे ताकि जनता में सौहार्द्र बढे।
बाबा गुरु नानक की शिक्षाएँ क्या थीं?
उत्तर-
(i) गुरु नानक ने एक ईश्वर की उपासना के महत्त्व पर जोर दिया।
(ii) उन्होंने कहा कि जाति, धर्म अथवा लिंग भेद मुक्ति प्राप्ति के लिए कोई मायने नहीं रखती।
(iii) उनके लिए मुक्ति सक्रिय जीवन व्यतीत करने के साथ-साथ सामाजिक प्रतिबद्धता की निरन्तर कोशिशों में निहित थे।
(iv) अपनी शिक्षाओं में उन्होंने तीन शब्दों का प्रयोग किया
(अ) नाम-नाम से उनका तात्पर्य सही उपासना से था।
(ब) दान-दान का तात्पर्य था-दूसरों का भला करना।
(स) इस्नान-इस्नान का तात्पर्य था-आचार-विचार की पवित्रता।
(v) आज उनके उपदेशों को नाम जपना, किर्त करना और वंड-छकना के रूप में याद किया जाता है। इनका आशय है-उचित विश्वास और उपासना, ईमानदारीपूर्ण निर्वाह और संसाधनों का मिल-बाँटकर प्रयोग करना अर्थात् दूसरों की मदद करना।
(vi) उन्होंने धार्मिक कर्मकांडों और रीतिरिवाजों तथा जातिपांति का विरोध किया।
प्रश्न 8.
जाति के प्रति वीर शैवों अथवा महाराष्ट्र के संतों का दृष्टिकोण कैसा था? चर्चा करें।
उत्तर:
जाति के प्रति वीर शैवों के विचार-वीर शैवों ने सभी प्राणियों की समानता के पक्ष में और जाति तथा नारी के प्रति व्यवहार के बारे में ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरुद्ध प्रबल तर्क प्रस्तुत किए।
जाति के प्रति महाराष्ट्र के संतों के विचार-महाराष्ट्र के सन्त कवियों ने जन्म में आधारित सामाजिक अन्तरों का विरोध किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि असली भक्ति दीन-दुखियों, पीड़ितों के दुःखों को बाँटना है। इस प्रकार उन्होंने मानवतावादी विचारों को रखते हुए जातिगत भेदभाव का विरोध किया।
प्रश्न 9.
आपके विचार से जनसाधारण ने मीरा की याद को क्यों सुरक्षित रखा?
उत्तर:
मीराबाई की याद को जनसाधारण ने इसलिए सुरक्षित रखा क्योंकि-
(i) मीराबाई ने अपने गीतों द्वारा उच्च जातियों की रूढियोंरीतियों को खुली चुनौती दी।
(ii) उन्होंने राजपूत राजपरिवार से संबंधित होते हुए भी अस्पृश्य जाति से संबंधित रविदास को अपना गुरु बनाया
(iii) उन्होंने भगवान कृष्ण की उपासना में अपने आप को समर्पित करते हुए भक्ति के प्रेम मार्ग को जनता के समक्ष रखा।
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