Laghu Katha - Mehanat ki Kamai लघु कथा - मेहनत की कमाई Class 8

Class 8 Hinid Laghu Katha - Mehanat ki Kamai लघु कथा - मेहनत की कमाई Class 8

 लघु कथा: 

गाँव के छोटे से घर में रामू अपने बेटे गोपाल के साथ रहता था। रामू पेशे से एक बढ़ई था। वह रोज़ सुबह लकड़ी का औजार लेकर निकलता और लोगों के लिए फर्नीचर बनाता। कमाई ज़्यादा नहीं थी, लेकिन जो भी पैसा आता, वह ईमानदारी और मेहनत से कमाया होता।

एक दिन गोपाल ने बाज़ार में एक लड़के को नया साइकिल चलाते देखा। वह बहुत खुश था और अपने पिता से बोला, “बाबा, मुझे भी साइकिल चाहिए।”

रामू ने मुस्कुराते हुए कहा, “बिलकुल बेटा, लेकिन उसके लिए हमें मेहनत करनी होगी। मैं ज़्यादा काम करूंगा और तुम भी पढ़ाई में मन लगाओ।”

अगले कुछ महीनों में रामू ने छुट्टी नहीं ली। गर्मी हो या बारिश, वह दिन-रात काम करता रहा। गोपाल भी पढ़ाई में अव्वल आने की ठान चुका था।

छह महीने बाद, जब गोपाल स्कूल से लौटा तो उसने आँगन में एक चमचमाती साइकिल देखी। उसकी आँखें खुशी से भर आईं।

“ये तुम्हारी मेहनत की साइकिल है, गोपाल,” रामू ने कहा। “मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है।”

गोपाल ने साइकिल को देखा, फिर अपने पिता को गले लगाते हुए बोला, “बाबा, अब मैं भी वादा करता हूँ कि हमेशा मेहनत से पढ़ूँगा और आपका नाम रोशन करूँगा।”

सीख: मेहनत की कमाई में सच्चाई, संतोष और आत्मसम्मान छिपा होता है। वह चीज़ें भले देर से मिलें, लेकिन उनका मूल्य सबसे अधिक होता है।

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